वंचित लड़कियों के शैक्षिक सपनों को पूरा करने के लिए हमारे साथ खड़े रहे।
लड़कियों का शैक्षिक सशक्तीकरण फ़ाउंडेशन, नागपुर
BRINGING SMILES THROUGH EDUCATION & EMPOWERMENT
Many world problems can be addressed through one solution: Education. Why? Because knowing how to read makes people safer, healthier and more self-sufficient
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‘…coming as I do from the lowest order of the Hindu society. What is the value of education. The problem of raising the lower order is deemed to be economic. This is a great mistake. The problem of the lower order in India is not to feed them, to cloth them and to make them serve the higher classes as the ancient order of this country. The problem of the lower order is to remove from them that inferiority complex which has stunted their growth and made them slaves to others, to create consciousness of significance of their lives for themselves and for the country of them they have been cruelly robbed by the existing social order. Nothing can achieve this purpose except this spread of higher education this in my opinion the panacea of our social troubles.’ 

~ DR. B.R. AMBEDKAR​
हम क्या कर रहे हैं ?

हमारा लक्ष वंचित समुदाय जैसे अनूसूचित जाती (एससी) और अनूसूचित जनजाति (एसटी) है।

जो देश की आबादी का 25.2% है, लेकिन 2011 की जनगणना के अनुसार शिक्षित लोगों में से केवल २०% है। शिक्षा क्षेत्र में फ़ीस वृद्धि और शिक्षा बजट में कटौती इन समुदायों के लिए उच्च शिक्षा के सपनो को और भी दुर्गम बना देती है।

फ़ाउंडेशन के लक्ष और उद्देश्य

  • उक्त फ़ाउंडेशन का प्राथमिक उद्देश्य समाज के वंचित या वंचित समूहों, विशेषकर एससी/एसटी समुदायों की लड़कियों के बीच उच्च शिक्षा को बढ़ावा देना है।
  • समाज के वंचित वर्गों के छात्रों, विशेषकर छात्राओं को भारत या विदेश में पढ़ाई जारी रखने में मदद करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना।
  • लड़कियों को स्वरोज़गार के लिए व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त करने में मदद करना।
  • फ़ाउंडेशन के लक्षों और उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आवश्यक अन्य सभी कार्य करना।


ऐसे फ़ाउंडेशन की आवश्यकता क्या है?

हम भारत के शैक्षिक परिदृश्य बदलने के मिशन पर है और हमें आपकी सहायता की आवश्यकता है।


कठोर वास्तविकता।

यूनिफ़ायड डिस्ट्रिक्ट इन्फ़र्मेशन ऑन स्कूल एजुकेशन (UDISE) 2019-20  रिपोर्ट के अनुसार माध्यमिक स्तर पर स्कूल छोड़ने की दर ख़तरनाक स्तर पर पहुँच गई है और सभी श्रेणियों से 10 % से अधिक छात्र स्कूल छोड़ रहे है। फिर एसटी वर्ग के लड़कों की 25.51% के साथ स्कूल छोड़ने की दर सबसे अधिक दर्ज की गयी है, उसके बाद उसी वर्ग की लड़कियों की संख्या 22.49%  दर्ज की गयी है। अकड़ों से यह भी पता चलता है की 24% से अधिक एसटी छात्रा माध्यमिक स्तर पर पढ़ाई छोड़ देते है।

एससी, ओबीसी और सामान्य श्रेणी के छात्रों के लिए स्कूल छोड़ने की दर भी अधिक थी, जैसा कि नीचे दर्शाया गया है।:यूनिफ़ायड डिस्ट्रिक्ट इन्फ़र्मेशन ऑन स्कूल एजुकेशन (UDISE) 2019-20  रिपोर्ट के अनुसार माध्यमिक स्तर पर स्कूल छोड़ने की दर ख़तरनाक स्तर पर पहुँच गई है और सभी श्रेणियों से 10 % से अधिक छात्र स्कूल छोड़ रहे है। फिर एसटी वर्ग के लड़कों की 25.51% के साथ स्कूल छोड़ने की दर सबसे अधिक दर्ज की गयी है, उसके बाद उसी वर्ग की लड़कियों की संख्या 22.49%  दर्ज की गयी है। अकड़ों से यह भी पता चलता है की 24% से अधिक एसटी छात्रा माध्यमिक स्तर पर पढ़ाई छोड़ देते है।

एससी, ओबीसी और सामान्य श्रेणी के छात्रों के लिए स्कूल छोड़ने की दर भी अधिक थी, जैसा कि नीचे दर्शाया गया है।:

शिक्षा के लिए एकिकृत ज़िला सूचना प्रणाली UDISE 2013-14 रिपोर्ट में बताया गया है कि प्राथमिक स्तर पर ६ करोड़ से अधिक लड़कियों का नामांकन हुआ था। छह साल बाद 2019-20 में बताया गया है कि प्राथमिक स्तर पर छह करोड़ से अधिक लड़कियों का नामांकन हुआ था। 

छह साल बाद, 2019-20 में लगभग इतनी ही संख्या में उच्च प्राथमिक स्तर पर नामांकन हुआ था। छह साल बाद, 2019-20 लगभग इतनी ही संख्या में उच्च प्राथमिक स्तर पर नामांकन होना चाहिए था। हालाँकि 2019-20 की रेपोर्ट में कहाँ गया है कि केवल ३५ लाख छात्र नामांकित है। इसका अर्थ है बाक़ी सादे पाँच करोड़ लड़कियों ने उच्च माध्यमिक शिक्षा में दाख़िला नही लिया या स्कूल छोड़ दिया।

Scroll. इन में छपी प्रदीप कृष्णात्रे की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग १५ लड़कियों के मामले में परिवार की वित्तीय बाधाएँ उन्हें स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर करती है।

यह डॉक्टर आंबेडकर के इस विचार से बिल्कुल विपरीत है कि, “ प्राथमिक शिक्षा का उद्देश्य यह देखना है कि प्राथमिक विद्यालय में प्रवेश करने वाला प्रत्येक बच्चा इसे केवल उस स्तर पर छोडता है जब वह साक्षर हो जाता है और जीवन के शेष  समय तक साक्षर बना रहता है। पिछले दशक में भारत ने शिक्षा क्षेत्र में बजटीय आवंटन में उल्लेखनीय कमी देखी है जो, 2012-13 में 4.7 से घटकर 2016-17 के बजट अनुमान में केवल 3.7% रह गयी है। गिरावट का दौर 2014-15 के बजट से शुरू हुआ। कुल केंद्रीय बजट में शिक्षा व्यय का हिस्सा 2014-15 में 4.1% से गिरकर 2019- 20 में 3.4 हो गया। अगस्त 2019 में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड परीक्षा शुल्क में 100% की वृद्धि करने और एससी और एसटी के छात्रों के लिए 2300% की आश्चर्यजनक वृद्धि करने का चौंकाने वाला निर्णय लिया। फ़ीस में वृद्धि स्कूलों  तक ही सीमित नही है; भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान और केंद्रीय विश्वविद्यायों जैसे उच्च शिक्षा संस्थानो ने भी अपनी फ़ीस में वृद्धि की है। दलित मानवाधिकार पर राष्ट्रीय अभियान (NCDHR) की रिपोर्ट के अनुसार एस सी, और एस टी बजट के तहत धन आवंटन में कमी  दिखाई देती है। कुल बजट में से अनूसूचित जाति के लिए ‘लक्षित योजनाओं’( समुदायों पर सीधा प्रभाव डालने वाली योजनाए के लिए केवल 4.5 प्रतिशत और अनूसूचित जनजाति के लिए केवल २.6 प्रतिशत आवंटित किया गया है।

NCDHR बताता है कि पिछले कुछ वर्षों में, केंद्रीय बजट के दौरान घोषित की जाने वाली धनराशि और उन योजनाओं को आवंटित की जाने वाली धनराशि, जिनका समुदायों पर सीधा प्रभाव पड़ता है इनके बीच अंतर काफ़ी रहा है।

हाशिए पर पड़े लोगों पर प्रभाव

इन बजट कटौती और शुल्क वृद्धि का छात्रों पर सीधा प्रभाव पड़ा है, विशेष कर हाशिए पर रहने वाले वर्गों के छात्रों पर। एकनॉमिक टाइम्ज़ ने बताया कि सामान्य श्रेणी के छात्रों में से एक की तुलना में 2019-20 में 1/4 आदिवासी और 1/5 दलित छात्रों ने नौवीं और दसवी में कक्षा छोड़ दी। कक्षा इक्ष और क्ष में पढ़ाई छोड़ने का अखिल भारतीय अनुपात 16.1% है।

 

सम्भावित समाधान

पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना, महान दूरदर्शी डॉक्टर आंबेडकर की देन है। अनूसूचित जाती के छात्रों को उनकी पोस्ट मैट्रिक या पोस्ट माध्यमिक शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के इरादे से शुरू की गई थी। अफ़सोस की बात है कि 2016-17 और 2018-19 के बीच इस छात्रा वृत्ति के लाभार्थी यों की संख्या में 43% गिरावट आयी है। शिक्षा के लिए सरकार द्वारा आवंटित धनराशि में भी भारी गिरावट आयी है। एस सी वर्ग के लिए प्री मैट्रिक छात्रा वृत्ति 2015-16 और 2019-20 के बीच लगातार घटी है ; OBC के लिए यह या तो स्थिर रही है या मामूली वृद्धि हुई। इसका लाभ उठाने वाले छात्रों की संख्या 2.4 मिलियन से गिरकर 2017-18 में 2.2 मिलियन हो गयी है। जो 8.3 % की गिरावट है। बढ़ती माँग के बावजूद एसी छात्रों के लिए पोस्ट मैट्रिक छात्रा वृत्ति योजना में लाभार्थी यों की संख्या 2016.17 में 5.8 मिलियन से घटकर 2018.19 में 3.3 मिलियन हो गयी, जो 43% की कमी है। PHD और पोस्ट डाक्टरल पाठ्यक्रमों के लिए फ़ेलोशिप और छात्र वृत्ति में लगातार गिरावट आयी है।
एस सी के छात्रों के लिए 602 करोड़ रुपए से 2019.20 में 283 करोड़ रुपए और ST छात्रों के लिए 439 करोड़ रुपए से 135 करोड़ रुपए हो गयी है। इसी तरह एससी एस टी के लिए उच्च शिक्षा आवंटन में यूजीसी में २३% की कमी आयी है।

अल्पसंख्यक छात्रवृत्तियाँ आवश्यकता से बहुत कम है अल्पसंख्यंक मंत्रालय (MOM) तीन प्रमुख छात्र वृत्ति योजनाओं के माध्यम से आर्थिक सहायता देता है। प्री मैट्रिक, पोस्ट मैट्रिक, और मेरिट-कम-मिन्स के तहत अल्पसंख्यंक छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। इनके तहत छह अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों-मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी – के गरीब छतों को लगभग ७ मिलियन छात्रा वृत्तियाँ वितरित की जा सकती है।
शैक्षणिक वर्ष 2018-19 के लिए मंत्रालय को 7.3 मिलियन नए आवेदन और 3.5 मिलियन प्री मैट्रिक छात्र वृत्ति का नवीनीकरण आवेदन प्राप्त हुए। इनमे से 2.9 मिलियन नए आवेदनो 40% और नवीनीकरण के लिए 2.7 आवेदनो को छात्रा वृत्ति 77% को छात्रा वृत्ति वितरित की गयी। पोस्ट मैट्रिक छात्र वृत्ति के मामले में ताज़ा और नवीनीकरण को मिलाकर, अल्पसंख्यक आवेदकों की संख्या 2 मिलियन थी, लेकिन केवल 68000 याने ३४% को ही पैसा मिला। व्यावसायिक और तकनीकी पाठ्य क्रमों के लिए प्रदान की जाने वाली योग्यता सह साधन छात्र वृत्ति के तहत मंत्रालय ने 2018-19 में 120000 छात्रों को छात्र वृत्ति की मंज़ूरी दी है। जो कुल आवेदनो के केवल 36% है।
यह डॉक्टर आंबेडकर के मौलिक विचार के विपरीत है जब उन्होंने कहा था कि शिक्षा एक ऐसी चीज़ है जिसे हर किसी के पहुँच में लाया जाना चाहिए।

 

आप कैसे मदद कर सकते हैं ?

हमारा मानना है कि एक साथ मिलकर हम इस प्रवृत्ति को उलट सकते है। और यह सुनिश्चहित कर सकते है कि हर वंचित लड़की को वह शिक्षा मिले जिसकी वह हक़दार है। हम आपसे अपील करते है कि आप इन लड़कियों को शिक्षा के साथ सशक्त बनाने और उन्हें ग़रीबी और समजिक असमानता कि बेड़ियों से मुक्त होने में मदद करने के हमारे मिशन में शामिल हो।
आपका योगदान हमें छात्र वृत्ति प्रदान करने, गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करने और इन लड़कियों को एक उज्जवल अधिक आशा जनक भविष्य की यात्रा में सहायता करने में मदद करेगा। आइए हम अपने संविधान के मार्ग दर्शक सिद्धांत को बनाए रखने के लिए एक साथ खड़े हो, जैसा कि अनुच्छेद 46 में कमजोर वर्गों विशेष रूप से अनूसूचित जातियों और अनूसूचित जनजातियों के शैक्षिक और आर्थिक हितों को विशेष ध्यान से बढ़ावा देने के लिए कहा गया है।
ऐसे देश में जहां शिक्षा क्षेत्र में 10% मुद्रास्फीति है, सरकार की सहायता के बिना दलित शिक्षा प्राप्त नही कर सकते। केंद्र और राज्य दोनो सरकारों को इस सम्बंध में प्रभावी ढंग से नीतियाँ बनाने की ज़रूरत है। लेकिन हम ऐसा होता नही देख पा रहे है, हाशिए पर खड़े लोगों के शिक्षा के प्रति उनकी उदासीनता उनके बजटीय प्रावधान में सबसे अधिक दिखाई देती है।
हम आपको फ़ाउंडेशन का सदस्य बनने पर विचार करने और एक प्रतिबद्ध डेटा बन्ने के लिए प्रोत्साहित करते है जो समय समय पर वांछित राशि का वचन देता है। इससे न केवल हमें अपनी गतिविधियों को अधिक प्रभावी ढंग से योजना बनाने में मद्द मिलेगी बल्कि हम बड़ी संख्या में योग्य छात्रों की सहायता करने में भी सक्षम होंगे।

फ़ाउंडेशन निम्नलिखित बिंदु सुनिश्चित करते हुए अपने सभी प्रयासों में पूर्ण पारदर्शिता और निष्पक्षता की गारंटी देता है:

  • छात्रों को सहायता और अन्य प्रशासनिक शुल्क सहित सभी व्यय भी सदस्यों के साथ साझा किए जाएँगे।
  • सभी खातों को विधिवत ऑडिट किया जाएगा और सदयों के साथ साझा किया जाएगा।
  • फ़ाउंडेशन के सभी दान बैंकिंग चैनलों के माध्यम से दिए जाएँगे। कोई नक़द दान स्वीकार नही किया जाएगा।

आइए डॉक्टर आंबेडकर के सपनो को साकार करे। आइए एक ऐसे समाज का निर्माण के लिए मिलकर काम करे जहां शिक्षा विशेषधिकार नही बल्कि एक अधिकार हो।

हमारे साथ खड़े रहे। इस मिशन का हिस्सा बने क्योंकि हर लड़की एक बेहतर कल का मौक़ा पाने की हक़दार है।

धन्यवाद।